Swami vivekananda biography in hindi in pdf
Swami Vivekananda Biography in Hindi PDF | सवम ववकननद
Title : सवम ववकनद क जवन
File Size : MB
Author :
Language : Hindi
Pages : 15
To read : Download PDF
पररक अनचछद :पवतर हदय स घण एकदम नकल जत ह, अतएव पवतर हदय परम स एकदम लबलब भर हत ह उचच कट क पवतरहदय वयकत कस स कवल करणवश परम नह करत, अपत उसक पस कवल परम ह ह इसलए उसक सवभव ह परम करन
जब उसक हदय म घण ह ह नह, त कस क लए उसक परयग कस ह सकत ह! ह, कस क दससवभव स उसक उपकष कर दन अलग बत ह
जसक पस रपय क वशल कष ह, बशमर खजन ह, वह लग स कड़-कड़ कय चहग! इस परकर ज नससवरथ और पवतर हदय हन स सवय परम क अथह सगर ह गय ह और ज अपन परम क भख मगग कय वह कभ शकयत करग क हम लग परम नह द रह ह! ज सदव दसर क आदर दत रहत ह, वह कय अपन आदर क भख हग!
More :Download Hindi Books of Vivekananda (PDF)
हम सवरथ और अहकर क करण बड़ करर ह गय ह हम दसर क दष और अपन गण क दखन क लए हजर आख वल ह जत ह और दसर क गण एव अपन दष क दखन क बत आय त हमर भतर-बहर क चर आख फट जत ह ऐस सथत म न समनवय ह सकग न शत
द भई थ ऊपर स घ क घड़ उतरन थ बड़ भई ऊपर चढ़कर घ क घड़ उतर और नच खड़ छट भई क पकड़य घ क घड़ दन क हथ स गर और फट गय घ खरब ह गय बड़ भई कहत "मझस गलत हई मन ठक स पकड़न स पहल छड़ दय, इसलए मर गलत ह" छट भई कहत "भय गलत मर ह मन ठक स समभल नह"
More:एक यग क आतमकथ (PDF)
अब बतओ, झगड़ कस हग! झगड़ तब हत जब एक कहत "त बड़ मरख ह तन इतन लपरवह क और घड़ नह समभल घ खरब कर डल" दसर कहत "भल आपन क, दष मझ लगत ह आपक ह गलत स घ खरब हआ ह" परनत यह त दन अपन-अपन दष दखत ह और दसर म सदगण फर कन झगड़ कर!
अचछइय क लकर ह समनवय ह सकत ह, बरइय क लकर कभ एकत नह हई ह अतएव जतन वयकतय स आपक समपरक ह उनस एकत बनय रखन क लए उनक अचछइय क दखन तथ उनक परत अगध परम क भव रखन ह अतयनत शरयसकर ह
अतएव आवशयकत ह अपन आपक सकचत भवनओ स ऊपर उठन क हर वयकत क चहए क वह अपन हदय म परम क भवन कर वह परम स भर जए मनव मतर क लए वह परम स आपलवत ह और जव मतर क लए दय स परण!
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पररक अनचछद :पवतर हदय स घण एकदम नकल जत ह, अतएव पवतर हदय परम स एकदम लबलब भर हत ह उचच कट क पवतरहदय वयकत कस स कवल करणवश परम नह करत, अपत उसक पस कवल परम ह ह इसलए उसक सवभव ह परम करन
जब उसक हदय म घण ह ह नह, त कस क लए उसक परयग कस ह सकत ह! ह, कस क दससवभव स उसक उपकष कर दन अलग बत ह
जसक पस रपय क वशल कष ह, बशमर खजन ह, वह लग स कड़-कड़ कय चहग! इस परकर ज नससवरथ और पवतर हदय हन स सवय परम क अथह सगर ह गय ह और ज अपन परम क भख मगग कय वह कभ शकयत करग क हम लग परम नह द रह ह! ज सदव दसर क आदर दत रहत ह, वह कय अपन आदर क भख हग!
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द भई थ ऊपर स घ क घड़ उतरन थ बड़ भई ऊपर चढ़कर घ क घड़ उतर और नच खड़ छट भई क पकड़य घ क घड़ दन क हथ स गर और फट गय घ खरब ह गय बड़ भई कहत "मझस गलत हई मन ठक स पकड़न स पहल छड़ दय, इसलए मर गलत ह" छट भई कहत "भय गलत मर ह मन ठक स समभल नह"
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अब बतओ, झगड़ कस हग! झगड़ तब हत जब एक कहत "त बड़ मरख ह तन इतन लपरवह क और घड़ नह समभल घ खरब कर डल" दसर कहत "भल आपन क, दष मझ लगत ह आपक ह गलत स घ खरब हआ ह" परनत यह त दन अपन-अपन दष दखत ह और दसर म सदगण फर कन झगड़ कर!
अचछइय क लकर ह समनवय ह सकत ह, बरइय क लकर कभ एकत नह हई ह अतएव जतन वयकतय स आपक समपरक ह उनस एकत बनय रखन क लए उनक अचछइय क दखन तथ उनक परत अगध परम क भव रखन ह अतयनत शरयसकर ह
अतएव आवशयकत ह अपन आपक सकचत भवनओ स ऊपर उठन क हर वयकत क चहए क वह अपन हदय म परम क भवन कर वह परम स भर जए मनव मतर क लए वह परम स आपलवत ह और जव मतर क लए दय स परण!